एक युवा कुंवारी लड़की आत्म-आनंद में लिप्त होती है, अपनी उंगलियों से अपनी चिकनी, अंतरंग सिलवटों की खोज करती है। वह उम्मीद से कांपते हुए अपने शरीर तक पहुंचती है, और अंत में, उसे अपना पहला संभोग सुख प्राप्त होता है।.
आत्म-आनंद के दायरे में तल्लीन एक युवा नौकरानी के मंत्रमुग्ध कर देने वाले तमाशे से मंत्रमुग्धा होने के लिए तैयार हो जाइए। उसकी बेदाग और बेदाग त्वचा से सजी यह अनछुई लस्सी, अपने पहले चरमोत्कर्ष का अनुभव करने के कगार पर है। जैसे-जैसे वह धीरे-धीरे अपने आप को फैलाती है, उसकी उंगलियां उसके मीठे स्थान पर नाजुकता से नृत्य करती हैं, प्रत्येक स्पर्श उसके शरीर से होकर आनंद की लहरें भेजता है। उसकी आंखें, मासूमियत और इच्छा से भरपूर होना, उसके कच्चे जुनून का एक प्रमाण है। यह सिर्फ आत्म-भोग का एक साधारण कार्य नहीं है; इसकी खोज की यात्रा, उसकी कौमार्य खोने की दिशा में एक कदम है। प्रत्याशा ताज़ा होती है, तनाव हर झटके के साथ बढ़ता जाता है। और फिर, अंत में, वह आनंद के शिखर पर पहुंच जाती है, उसका शरीर उसके पहले संभोग के थ्रोट्स को क्विं करता है। यह क्षण, शुद्धता और आत्म-प्रेम की शक्ति का परीक्षण है।.